yatra

Saturday, May 23, 2015

जो नाक पे है गुस्सा

खबर खराब थी ,
या पी शराब थी 
तकलीफ में थे तुम ,
या खुद में ही थे गुम
नज़र में आ गए
या धोका खा गए
नरम गरम अजब करम दिखे बहुत लगे जो कम  ,,,,,महीन सा ये ,,,,,गुस्सा
है नाक पे जो गुस्सा
जता भी न सके ,
छुपा भी न सके
तो है फिजूल गुस्सा

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